डरता था अक्सर दौरे जमाने से, तेरे आने से हर मौसम सुनहरा है, बेपरवाही में भी तेरा स डरता था अक्सर दौरे जमाने से, तेरे आने से हर मौसम सुनहरा है, बेपरवाही ...
पिता अमूल्य हैं। पिता अमूल्य हैं।
अलग हो जाते हैं हम , अब इस रिश्ते से। अलग हो जाते हैं हम , अब इस रिश्ते से।
बेइंतेहा मोहब्बत करने की गुस्ताखी की है हमने, तुझे खुद से भी ज्यादा चाहने की कोशिश की बेइंतेहा मोहब्बत करने की गुस्ताखी की है हमने, तुझे खुद से भी ज्यादा चाहने की ...
न होने दो खंडहर न होने दो खंडहर
भूल बैठे हैं वो अंधकार में ही ज़्यादा होती है उम्मीद सुबह के होने की। भूल बैठे हैं वो अंधकार में ही ज़्यादा होती है उम्मीद सुबह के होने की।